2. राजयोग विवेचन

नीच भंग राजयोग || नीच ग्रह (अशुभ ग्रह) से बनने वाला राजयोग

नीच भंग राजयोग || नीच ग्रह (अशुभ ग्रह) से बनने वाला राजयोग: नीच ग्रह:जब कोई ग्रह किसी राशि में सामान्य से बुरे फल देने में बाध्य हो जाए, तो उसे नीच का ग्रह कहा जाता है । नीच ग्रह बलहीन नहीं होता, नीच ग्रह अशुभ होता है और सदैव अपनी दशा – अन्तरा में मारक …

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शुभ कात्तर योग & पाप कात्तर योग

शुभ कात्तर योग: बहुत कुण्डलियों में कुण्डली का पापी और मारक ग्रह होते हुए भी अपनी दशा या अन्तर्दशा में अशुभ फल नहीं देता जिसका कारण शुभ कात्तर योग होता है I Definition : यदि किसी भी पापी और क्रूर ग्रह के दोनों तरफ शुभ ग्रह बैठ जाएँ तो वह ग्रह शुभ-कात्तर योग में होने …

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विपरीत राजयोग

त्रिक स्थान के स्वामी (अर्थात छठे/ आठवें/ बारहवें भावों के स्वामी) लग्न कुण्डली के मारक ग्रह होते हुए भी, यह आवश्यक नहीं कि ये ग्रह हमेशा बुरा फल ही दें I छठे/ आठवें/ बारहवें भावों के स्वामी यदि विपरीत राजयोग में हों तो जातक को अच्छा फल देने में सक्षम होते हैं l परिभाषा: विपरीत …

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पंच महापुरुष योग – राजयोग

यह योग केबल मंगल, बुध, बृहसपति, शुक्र और शनि ग्रह द्वारा ही बनता है l चन्द्रमा, सूर्य, राहु, केतु – यह योग नहीं बनाते हैं l पंच महापुरुष योगों में ग्रह का बलवान और शुभ होना अति अनिवार्य है l योग कारक ग्रह और सम ग्रह ही कुण्डली में यह योग बनाते हैं l मारक …

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ग्रहों की युति से बनने वाले राजयोग

योग विवेचन : दो ग्रहों का एक साथ बैठना ही योग कहलाता है l एक साथ बैठने को युति कहते हैं l यह योग कुण्डली के अनुसार अच्छा या बुरा होता है l ग्रहों की युतियां: हर कुण्डली में दो या तीन ग्रहों की युति अवश्य होती है l कुण्डली के किसी भाव में यदि …

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