मेष लग्न और मांगलिक योग

1. प्रथम भाव में मंगल:

  • मेष लग्न की कुण्डली में मंगल अति शुभ ग्रह माना जाता है l जब मंगल देवता अपनी मूल – त्रिकोण राशि में विराजमान हों, तो जातक को मांगलिक नहीं माना जाता है क्यूंकि यहाँ मंगल रुचुक नामक पंच महापुरुष योग बनाता है तथा लग्न में स्थित मंगल जातक को एक विशिष्ट व्यक्तित्व प्रदान करता है l इस प्रकार का जातक स्वं अपनी सम्पति बनाता है l मंगल देवता उसके वैवाहिक जीवन को स्थिरता प्रदान करते हैं और जातक अपने परिश्रम से अपने जीवन की रुकावटों को दूर कर लेता है l

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2. चतुर्थ भाव में मंगल :

  • मेष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता चौथे भाव (कर्क राशि) में विराजमान हों, तो वें जातक के लिए अत्यंत अशुभ माने जाते हैं क्यूंकि इस भाव में मंगल देवता नीच के होते हैं l यहाँ पर मंगल देवता नकारात्मक माने जाते हैं और मांगलिक दोष बन जाता है l
  • इस प्रकार की कुण्डली वाला जातक बहुत संघर्ष करने के बाद अपनी घर – सम्पति बना पाता है और जातक की अपने जीवनसाथी के साथ अच्छी समझदारी नहीं बनी होती है l कामकाज में भी उसे बहुत संघर्ष करना पड़ता है l इस जातक की समस्या बड़े भाई – बहन के साथ भी होती है तथा धन लाभ हेतु भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है l

3. सप्तम भाव में मंगल:

  • मेष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता सातवें भाव में विराजमान हों, तब जातक को मांगलिक नहीं माना जाता है क्यूंकि इस कुण्डली में मंगल अति शुभ ग्रह होता है और मंगल सप्तम भाव को बचाता है l मंगल की कामकाज के भाव पर पड़ी दृष्टि कामकाज में सुधर लाती है, लग्न पर पड़ी दृष्टि जातक परिश्रमी एवं बहादुर बनाती है तथ दूसरे भाव पर पड़ी दृष्टि जातक का अपने परिवार से स्नेह बढाती है l इसलिए यहाँ मंगल सकारात्मक है l

4. अष्टम भाव में मंगल :

  • मेष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता आठवें भाव में विराजमान हों, तो जातक को मांगलिक नहीं माना जाता है क्यूंकि मंगल स्वः राशि स्थित हैं l यह बात मंगल के कुप्रभाव को समाप्त कर मंगल के प्रभाव को सामान्य कर देती है l

5. द्वादश भाव में मंगल:

  • मेष लग्न की कुण्डली में यदि मंगल देवता बारहवें भाव में विराजमान हों तो जातक को मांगलिक माना जाएगा l चाहे मंगल यहाँ अपने मित्र राशि के भाव में स्थित हैं, फिर भी एक बुरे भाव में पड़े होने के कारण मंगल अपनी शुभता पूर्ण रूप से खो देते हैं और यह एक मारक ग्रह बन जाते हैं l मंगल की सातवें भाव पर पड़ रही आठवीं दृष्टि वैवाहिक जीवन में परेशानियाँ पैदा करती हैं और जातक अकारण ही ग़ुस्सेला बन जाता है l

नोट:

  • मेष लग्न की कुण्डली में जातक केवल तभी मांगलिक कहलाएगा यदि मंगल देवता उसकी कुण्डली में चौथे भाव या बारहवें भाव में पड़ें हों l अन्यथा वह मांगलिक नहीं होगा l

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2 thoughts on “मेष लग्न और मांगलिक योग”

  1. Sir, Aapne meri aankhen khol di… ek pandit ne mjhe bola hua tha mesh lagna men 7th house men mangal hai toh aap manglik ho aur jis se aap shadi krne ja rahe ho voh manglik nhi hai … ki tumhri death ho jayegi … bahut dara diya tha mjhe aur kah raha tha Pooja karao hamse mangal kee tab jake sab theek hoga … poonga pandit sach me lootane ke liye baithe hain… aapne toh mere sare doubt clear kr diye … jabki meri married life me koi bhi problems nhi h , smooth h sab kuchh, sir Etna achha knowledge aapne kahan se seekha ,

    hamko bhi seekhna h hame bhi sikhaiye sir.. I will paid fees for learning. bus hame sikha dijiye

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