हमारे जीवन में कुण्डली का क्या महत्त्व है ?

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कुण्डली:

कुण्डली हमारे शरीर पर पड़ रहे ग्रहों के प्रभाव को दर्शाती है l इससे यह पता चलता है कि हमारे शरीर के किस अंग पर किस ग्रह का कैसा और कितना प्रभाव पड़ रहा है तथा वह हमारे शरीर पर अपनी दशा-अन्तर्दशा में कैसा प्रभाव देगा क्यूंकि कुण्डली के 12 भाव हमारे शरीर के सभी अंगों की जानकारी देते हैं l

ग्रहों का प्रभाव:

शरीर पंचतत्वों से बना है l ग्रहों की किरणों से ही हमारा शरीर चलता है l सूर्यमण्डल से ग्रहों की किरणें हमारे शरीर पर पड़ती है l जिस समय इन्सान का जन्म होता है उस वक्त सभी ग्रहों की किरणों का प्रभाव उसके शरीर पर पड़ता है वही प्रभाव उसकी जन्म कुण्डली को दर्शाती है l यह विद्या उन्ही किरणों का प्रभाव जानकर उसके उपाय करके जातक का जीवन जीने लायक बनाती है l किरणों के प्रभाव से आपकी जो जन्म लग्न कुण्डली बनती है उसी से आपके जीवन का निर्णय होता है l

1. जल प्रवाह :

यदि कोई भी ज्योतिष विद्वान किसी भी जातक को उपाय में कोई भी वस्तु जल प्रवाह करने के लिए कहता है तो इसका अर्थ यह है कि जिस ग्रह से सम्बंधित वह वस्तु है, उस वस्तु को पानी में डालने से उस ग्रह का प्रभाव शांत हो जाता है क्यूंकि सृष्टि का नियम है कि यदि हम आग का गोला भी पानी में डालेंगे तो वह भी शांत होकर प्रभावहीन हो जायेगा I

2. दान-पुण्य :

यदि कोई भी ज्योतिष विद्वान आपको किसी ग्रह से सम्बंधित वस्तु को दान करने को कहता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि जिस भी वस्तु का दान किया जाता है, उस ग्रह का प्रभाव कम हो जाता है क्यूंकि यह भी सृष्टि का नियम है कि जो भी चीज आप बांटते हो वह आपके पास से कम हो जाती है I यह नियम रंग उपचार के नियमों में बहुत ही प्रमुख भूमिका निभाता है I

3. पाठ – पूजन :

यदि कोई ज्योतिष विद्वान पाठ – पूजन, हवन – यज्ञ, सिमरन, व्रत, आरती करने को कहता है तो इसका अर्थ हुआ कि इससे ग्रहों का प्रभाव शुभ होता है, तथा ग्रह को प्रसन्न कर, आशीर्वाद प्राप्त कर जीवन को जीने योग्य बनाया जा सकता है I

4. रत्न धारण करना :

यदि कोई ज्योतिष विद्वान आपको किसी भी ग्रह से सम्बंधित कोई भी रत्न धारण करने को कहता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि जिस ग्रह का बल उसके शरीर में बढ़ाना है, उस रत्न की किरणों के माध्यम से बढ़ता है I परन्तु बहुत सारे ज्योतिष इस बात को गलत तरीके से जातक को बताते हैं I वह जिस ग्रह का रत्न धारण करने को कहते हैं, उसी ग्रह से सम्बंधित वस्तु का दान भी करवा देते हैं अर्थात रत्न धारण करने से जो किरणें शरीर में प्रवेंश की, दान करने से वहीं किरणें कम हो गई क्यूंकि रत्न धारण करना और दान करना एक दूसरे के विपरीत फल देने वाले हैं I

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