विदेश यात्रा तथा विदेश में बसना

विदेश यात्रा तथा विदेश में बसना :

  • विदेश यात्रा तथा विदेश में स्थायी तौर पर बसना दो अलग – अलग बातें हैं l
  • विदेश यात्रा का योग नवम भाव तथा नवम भाव के स्वामी से देखा जाता है l
  • विदेश में स्थायी रूप से बसना बारहवें भाव तथा इस भाव के स्वामी की स्थित से देखा जाता है l
  • नवम भाव में पड़े ग्रह की या नवम भाव के स्वामी की दशा – अन्तरा चले तो जातक की विदेश यात्रा होने का योग बनता है l

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विदेश में स्थायी रूप से बसने के लिए निम्नलिखित बातों का अध्ययन किया जाता है –

  • बारहवें भाव के स्वामी की युति यदि चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी से हो जाये या बारहवें भाव के स्वामी का कोई भी प्रभाव यदि चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी पर हो तो विदेश में बसने का योग बनता है l
  • शनि, राहु, केतु भी विदेश में बसने के कारक ग्रह हैं l इन ग्रहों का कोई भी प्रभाव यदि चौथे भाव या चौथे भाव के स्वामी पर हो, तब विदेश में बसने का योग बनता है l
  • यदि शनि देव की ख़राब साढ़ेसाती या ढैया चले, तो इस समय दौरान भी जातक के विदेश में बसने का योग बन जाता है क्यूंकि शनि देव की साढ़ेसाती या ढैया भी विदेश में बसने के कारक होते हैं l
  • चौथे भाव पर मारक ग्रहों का प्रभाव भी विदेश में बसने का योग बनाता है l
  • चौथे भाव का स्वामी यदि पाप प्रभाव में या किसी भी रूप से बलाबल में कमजोर हो तो भी विदेश में बसने का योग बनता है l चौथा भाव जातक की मातृभूमि का होता है l इसलिए इसके स्वामी की स्थित मायने रखती है l
  • लग्नेश भी यदि बारहवें भाव के स्वामी के साथ कोई भी युति बना ले तो भी विदेश में बसने का योग बनता  है l

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